Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

मोटे अनाज का भोजन की थाली में सम्मानजनक स्थान होना चाहिए- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर

188
Tour And Travels

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि गेहूं व चावल के साथ मोटे अनाज का भी भोजन की थाली में पुनः सम्मानजनक स्थान होना चाहिए। पोषक-अनाज को देश-दुनिया में बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही भारत की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष 2023 में मनाया जाएगा, जिसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पहल की थी व 72 देशों ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात आज एग्रीकल्चर लीडरशिप एंड ग्लोबल न्यूट्रिशन कान्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में कही। श्री तोमर ने कहा कि कोविड महामारी ने हम सभी को स्वास्थ्य व पोषण सुरक्षा के महत्व का काफी अहसास कराया है। हमारी खाद्य वस्तुओं में पोषकता का समावेश होना अत्यंत आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाए जाने से मिलेट्स की घरेलू एवं वैश्विक खपत बढ़ेगी, जिससे रोजगार में भी वृद्धि होगी एवं अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा, संस्कृति, चलन, स्वाभाविक उत्पाद व प्रकृति द्वारा जो कुछ भी हमें दिया गया है, वह निश्चित रूप से किसी भी मनुष्य को स्वस्थ रखने में परिपूर्ण है, लेकिन कई बार समय निकलता जाता है और आधुनिकता के नाम पर, व्यस्तता के कारण अनेक बार हम अच्छी चीजों को शनैः शनैः भूलते जाते है तथा प्रगति के नाम पर बहुत-सारी दूसरी चीजों को अपने जीवन में अपनाते जाते है। प्रगति तो आवश्यक है लेकिन प्रकृति के साथ अगर प्रगति का सामंजस्य रहें तो यह हम सबके लिए, मानव जीवन व देश के लिए ज्यादा अच्छा है। आज हम बहुत-सारी चीजों को ढूंढते हैं व महंगे दामों पर भी खऱीदते हैं, उनमें कई ऐसी हैं, जिनके बीज कोई संजोकर नहीं रखता या जिन्हें किसान बोते भी नहीं है लेकिन आज भी प्राकृतिक रूप से, मौसम के अनुसार वे पैदा होती है, जिन लोगों को उनकी गुणवत्ता मालूम हो गई, वे उन्हें उपयोग करते है। ईश्वर ने भी संतुलन का ध्यान रखा है।

image001MFER Hindi News Website

श्री तोमर ने कहा कि मिलेट्स हमारे देश में कोई नहीं चीज नहीं है। पहले स्वाभाविक रूप से साधन-सुविधाएं कम थे लेकिन हमारे कृषि क्षेत्र, गांव व समाज का ताना-बाना ऐसा था कि छोटे किसान भी अपनी आवश्यकतानुरूप खेती करते थे और जो खाद्यान्न बचता था, उसे बाजार में ले जाते थे। धीरे-धीरे खेती करते समय ज्यादा मुनाफे की प्रतिस्पर्धा हुई, जिससे जिंसों की उगाही बदल गई और गेहूं व धान पर अवलंबन ज्यादा हो गया। हमारे किसान देश को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम है, वहीं हम दुनिया को भी आपूर्ति कर रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे मिलेट्स का स्थान थाली में कम होता गया, प्रतिष्ठा की प्रतिस्पर्धा में मिलेट्स थाली से गायब होता चला गया परंतु अब जब हमारा देश खाद्यान्न व बागवानी की अधिकांश उपज के मामले में अग्रणी है तो पोषक-अनाज की ओर ध्यान जाता है। आज पोषकता की आवश्यकता है, अनुसंधान भी काफी गहराई से हो रहा है, बारीकी से उसका विश्लेषण किया जा रहा है। जगह-जगह व्याख्यान हो रहे हैं, विद्वान चिंतन कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए मिलेट्स जरूरी है। इस संबंध में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा था कि मिलेट्स के लिए हमें काम करना चाहिए और उनकी पहल पर योग की तरह देश-दुनिया में मिलेट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है, प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर मिलेट्स का उत्पादन व खपत बढ़ रही है।

कार्यक्रम में फिलिपिंस के पूर्व कृषि मंत्री श्री विलियम डार सहित अनेक गणमान्यजन मौजूद थे।