रायपुर, 18नवंबर। राज्यपाल अनुसुईया उइके छिंदवाड़ा प्रवास के दौरान, ‘‘जनजाति गौरव दिवस’’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं। उन्होंने बिरसा मुण्डा के जन्मदिवस को ‘‘जनजाति गौरव दिवस’’ के रूप में मनाने के निर्णय को गौरवपूर्ण बताते हुए, इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास को सम्मान मिला है।
राज्यपाल ने बिरसा मुण्डा के जन्मदिवस पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वे एक महान आदिवासी नेता थे, उन्होंने शोषण और गुलामी के खिलाफ आदिवासी समाज को संगठित किया और उन्होंने देश और समाज को एक नई दिशा दी। उन्होंने बताया कि वीर बिरसा मुण्डा ने जनजातीय समाज को सामाजिक कुरीतियों और आडम्बरों के खिलाफ भी जागृत किया और अच्छाईयों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। उनके आह्वान से तत्कालीन जनजातीय समाज में जागृति आई ।
राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुण्डा नेे हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनके जैसे महानायकों से देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होने जनजातीय समाज को अशिक्षा तथा अन्य आडम्बरों से मुक्त होकर तथा अपनी मौलिक संस्कृति को बचाने एवं देश की प्रगति में अधिक से अधिक योगदान देने की आवश्यकता बताई।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद उन्हेांने छत्तीसगढ़ राज्य के हजारों आदिवासियों की समस्याओं को दूर करने के लिए लगातार कार्य किया है। इस दौरान उन्होंने आदिवासियों से निरंतर मुलाकात की और उनकी समस्याओं को दूर करने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी आदिवासी के सम्मान और उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की मान्यताओं का सम्मान करते हुए, उनके प्राचीन गोंडी धर्म को भी मान्यता मिलनी चाहिए। इससे वे अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं को बेहतर तरीके से संरक्षित रख सकेंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आदिवसियों के धर्मांतरण को भी रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए आदिवासी समाज को स्वयं भी जागरूक होना होगा ताकि कोई भी बाहरी लोग उन्हें प्रभावित न कर सकें।
राज्यपाल ने कहा कि जनता के द्वारा चुने हुए लेागों को आदिवासी समाज के विकास के लिए सकारात्मक रूप से कार्य करना चाहिए। उनकी मूलभूत समस्याओं को बेहतर करने की आवश्यकता बताते हुए, उन्होंने कहा कि आदिवासियों को भी अपने अधिकारों के प्रति संगठित होना होगा, तभी उनके विकास की राह मजबूत होगी। आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए, सभी राज्यों में पेसा कानून को शीघ्र लागू कराए जाने की जरूरत भी बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासी हित में निरंतर प्रयास किए जाने के कारण ही, आज जनजातियेां के नाम की मात्रात्मक त्रुटि को सुधारने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है।