भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण- एनएचएआई ने आंतरिक प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ाने और पारदर्शिता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने की एक अन्य पहल की है। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एनएचएआई ने इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी (ई-बीजी) को स्वीकार करना शुरू कर दिया है और अपनी सभी मौजूदा बैंक गारंटी को भी डिजिटल कर दिया है। एनएचएआई, नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड (एनईएसएल) की ई-बीजी सेवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। एनईएसएल कागज के इस्तेमाल में कमी, भौतिक रूप से भंडारण की आवश्यकताओं को कम करने तथा बैंक गारंटी लाइफ साइकिल की घटनाओं जैसे आह्वान, नवीनीकरण और सेवाएं स्थगित करने के लिए आसान पहुंच की सुविधा प्रदान करता है। एनएचएआई के पक्ष में बैंकों द्वारा कुछ ई-बीजी पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती अलका उपाध्याय ने कहा कि हम ई-बीजी के अनेक लाभों को ध्यान में रखते हुए अपने छूट ग्राहियों को ई-बीजी अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। यह पहल ‘डिजिटल इंडिया’ की भावना के अनुरूप है। ई-बीजी से पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है, इससे कई तरह की क्षमताएं उपलब्ध होती हैं और हितधारकों को व्यापार करने में आसानी प्रदान की जाती है।
बैंक गारंटी (बीजी) एक कानूनी अनुबंध के रूप में उपयोग किया जाने वाला एक वाणिज्यिक साधन है, जिसमें बैंक एक जमानती के रूप में कार्य करते हैं। यह उस समय लाभार्थी को गारंटी में निर्दिष्ट एक निश्चित राशि का भुगतान करने का दायित्व लेता है, जब मूल अनुबंध से देनदार अपने संविदात्मक दायित्वों को पूरा नहीं कर पाता है। एनएचएआई जैसे संगठनों को आम तौर पर संविदात्मक दायित्वों की ईमानदारी से पूर्ति के लिए बीजी की आवश्यकता है। बीजी का फिजिकल फॉर्म समय लेने वाली सत्यापन प्रक्रिया और धोखाधड़ी की संभावना जैसी चुनौतियां रखता है। हालांकि, एनएचएआई अपने आंतरिक प्रसंस्करण तंत्र के माध्यम से बीजी से संबंधित मुद्दों एवं चुनौतियों से प्रभावी ढंग से तथा कुशलता से निपट रहा है।