केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कोयला खदान की नीलामी और उत्पादन में निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा करने का आह्वान किया
कोयला मंत्रालय ने कोयला खदानों के दस सफल बोलीदाताओं के साथ समझौता किया
अब तक चौंसठ खानों की सफलतापूर्वक नीलामी हुई
केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कोयला खदान की नीलामी और शीघ्र उत्पादन में निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा करने का आग्रह किया। आज यहां नई दिल्ली में राष्ट्रीय कोयला सम्मेलन और प्रदर्शनी- 2022 को संबोधित करते हुए, श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि के बावजूद, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने घरेलू कोयले के मूल्यों में वृद्धि नहीं की है और हाल के दिनों में कोयले के उत्पादन को काफी हद तक बढ़ाया है और वह ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी से उबरने में कामयाब रहा है।
श्री जोशी ने कहा कि 2020 में शुरू की गई वाणिज्यिक नीलामी के अंतर्गत अब तक 64 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि 2024 तक थर्मल कोयले के आयात को रोकने के लिए सभी प्रयास जोरों पर हैं और कमर्शियल के तहत कोयले के जल्द उत्पादन के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड के अच्छे प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कम्पनी के स्वामित्व में आने वाली कैप्टिव खदानों से इस साल 125 मिलियन टन (एमटी) कोयले के उत्पादन होने की संभावना है।
कोयला मंत्रालय ने सम्मेलन के दौरान दूसरे प्रयास के तहत 15वें चरण और 13वें और 14वें चरण में कोयले की बिक्री के लिए 10 सफल कोयला खदानों के बोलीदाताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिन खदानों के लिए कोयला खदान/ब्लॉक उत्पादन और विकास समझौते निष्पादित किए गए हैं उनमें कस्ता (पूर्व), मार्की बारका, बररा, कोयागुडेम ब्लॉक III, मैकी नॉर्थ, अलकनंदा, बसंतपुर, बंधा उत्तर, मार्की मंगली IV और जितपुर शामिल हैं। सफल बोलीदाताओं में जीतसोल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, बिड़ला कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड, ऑरो कोल प्राइवेट लिमिटेड, मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, रूंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड, गंगारामचक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड, सौभाग्य मर्केंटाइल लिमिटेड और टेरी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
इन 10 कोयला खदानों से 10.39 मिलियन टन प्रति वर्ष की सर्वोत्तम क्षमता के उत्पादन को देखते हुए कुल 1077.67 करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान है। एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद, इन खदानों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 14,047 लोगों के लिए रोजगार सृजित होने की सम्भावना है। खदानों के संचालन पर कुल 1558.50 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इन खानों के लिए उपार्जित राजस्व की हिस्सेदारी 6.48 प्रतिशत की औसत प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के साथ 5 प्रतिशत से 15.75 प्रतिशत तक है।
कोयला मंत्रालय के संरक्षण में, भारतीय राष्ट्रीय समिति विश्व खनन कांग्रेस ने “आत्मनिर्भर भारत की ओर भारतीय कोयला क्षेत्र -टिकाऊ खनन” विषय पर पहली बार राष्ट्रीय कोयला सम्मेलन और प्रदर्शनी – 2022 का आयोजन किया है।
कोयला मंत्रालय में सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन, खान मंत्रालय में सचिव श्री विवेक भारद्वाज और कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी श्री प्रमोद अग्रवाल ने इस सम्मेलन को संबोधित किया जिसमें नीति निर्माताओं, सार्वजनिक और अन्य हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई जो निजी क्षेत्र की खनन कंपनियों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और भारतीय कोयला क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय मिशन के साथ संरेखित करने के लिए आवश्यक कार्ययोजना तैयार करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। सम्मेलन में कोयला, खान, बिजली, इस्पात, आपदा प्रबंधन, कोयला खनन कंपनियों के मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा खनन इंजीनियरिंग क्षेत्र के लगभग 150 छात्रों ने भी भाग लिया।
तकनीकी सत्रों और परस्पर विचार-विमर्शों का फोकस तीन प्रमुख विषयों, बिजली क्षेत्र में ईंधन आत्मनिर्भरता, कोयले के लिए इस्पात निर्माण में आत्मनिर्भर भारत और प्रौद्योगिकी और स्थिरता के आसपास केंद्रित था।
आकर्षक और सूचनात्मक प्रदर्शनी में प्रौद्योगिकी को शामिल करने, सतत विकास, सूचना प्रौद्योगिकी पहल, खनन सुरक्षा में सर्वोत्तम प्रथाओं आदि के लिए कोयला खनन क्षेत्र की पहल को प्रदर्शित किया गया था। भारतीय कोयला खनन क्षेत्र द्वारा उपयोग की जाने वाली नवीनतम तकनीकों तथा आईटी – सक्षम उपकरण भी प्रदर्शित किए गए।