पांच राज्यों की दस कोयला खानों की सफलतापूर्वक नीलामी हुई
अनुमानित कुल कोयला भंडार 3445.76 मिलियन टन
कोयला मंत्रालय ने 30 मार्च, 2022 को सीएमएसपी अधिनियम और एमएमडीआर अधिनियम की चौथी क़िस्त और सीएमएसपी अधिनियम और एमएमडीआर अधिनियम की 5वीं क़िस्त के दूसरे प्रयास के तहत वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खानों की नीलामी की शुरुआत की थी। ई-नीलामी के पहले और दूसरे दिन, कुल 10 कोयला खानें नीलामी के लिए रखी गईं थीं, जिनमें से 5 कोयला खानें सीएमएसपी कोयला खानें और 5 कोयला खानें एमएमडीआर कोयला खानें थीं। कोयला खानों का विवरण इस प्रकार है:
- सात कोयला खानों का पूरी तरह से अन्वेषण किया जा चुका है, जबकि 3 कोयला खानों का आंशिक रूप से अन्वेषण किया गया है।
- इन 10 कोयला खदानों का कुल भूगर्भीय भंडार 3,445.76 मिलियन टन है।
- इन कोयला खानों के लिए संचयी सर्वाधिक दर क्षमता (पीआरसी) लगभग 39.31 एमटीपीए है।
पहले दिन और दूसरे दिन के परिणाम इस प्रकार हैं:
क्रमांक | खान का नाम | राज्य | पीआरसी (एमटीपीए) | भूगर्भीय भंडार (एमटी) | अंतिम बोली | आरक्षित
मूल्य(%) |
अंतिम
प्रस्ताव (%) |
1 | सुरसा | छतीसगढ़ | उपलब्ध नहीं | 72.55 | मध्य प्रदेश मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड /333702 | 4.00 | 5.50 |
2 | दहेगांव/मकरढोकरा-IV | महाराष्ट्र | 1.61 | 121.00 | अयास्सा फेर्रो अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड/332977 | 4.00 | 5.50 |
3 | बसंतपुर | झारखंड | उपलब्ध नहीं | 200.00 | गंगारामचक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड/148095 | 4.00 | 5.00 |
4 | बंधा उत्तर | मध्य प्रदेश | उपलब्ध नहीं | 500.00 | जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स लिमिटेड/64702 | 4.00 | 15.75 |
5 | मर्की मंगली -IV | महाराष्ट्र | 0.20 | 3.42 | सौभाग्य मर्केंटाइल लिमिटेड/321854 | 4.00 | 6.00 |
6 | जीतपुर | झारखंड | 2.50 | 81.10 | टेर्री माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड/327195 | 4.00 | 7.00 |
7-8 | रामपिया और पम्पिया का विस्तार | ओडिशा | 15.00 | 1179.41 | झार मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड/231029 | 4.50 | 9.50 |
9-10 | घोघरपल्ली और इसका विस्तार
|
ओडिशा | 20.00 | 1,288.28 | वेदांता लिमिटेड/68522 | 4.00 | 23.00 |
वाणिज्यिक कोयला खनन नीलामी प्रक्रिया के तहत अब तक कुल 57 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है, जिनकी कुल संचयी पीआरसी 140.75 एमटीपीए है और जिनमें क़िस्त – 4 और क़िस्त – 5 के दूसरे प्रयास में की गई उपरोक्त 10 कोयला खानों की नीलामी शामिल हैं।
इन खानों के चालू होने से, घरेलू कोयला उत्पादन में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होगी और कोयले के आयात पर निर्भरता कम होगी। वाणिज्यिक नीलामियों से सरकारी कोष को भारी राजस्व प्राप्त होगा और इससे कोयला क्षेत्रों के आसपास रहने वाली आबादी के सामाजिक विकास में भी मदद मिलेगी।