आयकर विभाग ने 27.07.2022 को अस्पताल संचालित कर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले कई समूहों के खिलाफ छापामारी और जब्ती अभियान चलाया। इन समूहों के दिल्ली-एनसीआर में स्थित कुल 44 परिसरों में छापामारी की कार्रवाई की गई।
इस अभियान के दौरान बड़ी संख्या में दोषी ठहराने योग्य भौतिक और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
इन साक्ष्यों के विश्लेषण से पता चला कि समूहों में से एक ने खाता-बही का एक समानांतर सेट बनाए रखा था, जो रोगियों से प्राप्त नकद धनराशि की व्यवस्थित रूप से कम रिपोर्टिंग को दिखाता है। इस समूह द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में अस्पताल से रोगियों की छुट्टी के समय चालान को हटाना या चालान की धनराशि को “छूट/रियायतें” आदि के रूप में चिह्नित करके धनराशि को कम करना शामिल था। इस कार्यप्रणाली को अपनाकर आय की चोरी की जाती है और इसे कई वर्षों से समूह के सभी अस्पतालों में अपनाई जा रही है।
इस छापामारी अभियान में शामिल अन्य स्वास्थ्य समूह दवाओं और/या स्टेंट जैसे चिकित्सा उपकरणों के लिए फर्जी या अधिक धनराशि के चालान प्राप्त करने में शामिल हैं, जिससे न केवल वास्तविक लाभ को छिपाया जाता है, बल्कि रोगियों से अधिक शुल्क भी लिया जाता है। इन जांचों के दौरान पाई गई धनराशि के साक्ष्य ने इस तथ्य की और अधिक पुष्टि की है कि समूहों को इन फर्जी/धनराशि में बढ़ोतरी किए गए चालानों के लिए बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए गए भुगतान के बदले नकद वापस प्राप्त हो रहा है। इन समूहों के एक अस्पताल को निर्दिष्ट व्यवसाय के रूप में पात्र होने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा किए बिना वर्षों से गलत कटौती का दावा करते हुए पाया गया।
इन जब्त किए गए साक्ष्यों से डॉक्टरों और क्लीनिकों को परामर्श (रेफरल) भुगतान की अभ्यास का भी पता चला है, जिसे खाता-बही में दर्ज नहीं किया गया है। इन मरीजों को दिए गए बिल के एक हिस्से पर परामर्श भुगतान दर्ज किया गया है। वहीं, इस छापामारी की कार्रवाई के दौरान बेनामी प्रकृति के लेन-देन के साक्ष्य भी मिले हैं।
वहीं, छापामारी अभियान में 3.50 करोड़ रुपये से अधिक की अस्पष्टीकृत नकदी और 10.00 करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण जब्त किए गए हैं। अब तक इन अभियानों में पाए गए सभी समूहों की बेहिसाबी आय 150 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। 30 से अधिक बैंक लॉकरों पर रोक लगा दी गई है।
आगे की जांच जारी है।