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संस्कृति मंत्रालय अपने विभिन्न स्वायत्त संगठनों के माध्यम से भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित कर रहा है

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संस्कृति मंत्रालय अपने स्वायत्त संगठनों जैसे संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र, ललित कला अकादमी, कलाक्षेत्र फाउंडेशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के माध्यम से भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित करने एवं प्रोत्साहित करने का काम करता है।

संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) पूरे देश में समारोह आयोजित करती है। अकादमी प्रदर्शन कलाओं में अनुसंधान, डॉक्युमेंटेशन और प्रकाशन के लिए अनुदान-सहायता प्रदान करती है। गुरु-शिष्य परंपरा के तहत, अकादमी देश भर के सांस्कृतिक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। अकादमी के आर्काइव्स प्रख्यात और आने वाले कलाकारों की रिकॉर्डिंग को सावधानीपूर्वक संरक्षित करते हैं।

साहित्य अकादमी (एसए) राष्ट्रीय पत्र अकादमी है, जो इसके द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भाषाओं में भारतीय साहित्य के प्रचार और संरक्षण के लिए काम कर रही है। साथ ही भारत के मौखिक और आदिवासी साहित्य को भी संरक्षित करती है। देश के विविध साहित्य को बढ़ावा देकर, साहित्य अकादमी भारत के विविध सांस्कृतिक, भाषाई और साहित्यिक समुदायों और परंपराओं को एकजुट करने का प्रयास करती है। इस उद्देश्य के लिए साहित्य अकादमी सालाना 500 से अधिक साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है, लगभग 500 साहित्यिक पुस्तकों का प्रकाशन करती है और लगभग 150-200 पुस्तक मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेती है। पिछले पांच वर्षों के दौरान, साहित्य अकादमी पुरस्कार (96 प्रति वर्ष), कार्यक्रम (लगभग 500 प्रति वर्ष), प्रकाशन (लगभग 500 प्रति वर्ष) और देश भर में पुस्तक मेले एवं प्रदर्शनियों में भाग लेकर सभी 24 भाषाओं में भारतीय साहित्य को बढ़ावा दे रही है।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने पिछले 5 वर्षों के दौरान विभिन्न रंगमंच गतिविधियों का आयोजन किया है जिनमें राष्ट्रीय पूर्वोत्तर समारोह, भारत रंग महोत्सव, पूर्वोत्तर नाट्य समारोह, पूर्वोत्तर राष्ट्रीय समारोह, शास्त्रीय रंगमंच महोत्सव, रंगमंच, संगीत और कला का राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का आयोजन किया। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत तीन दिवसीय रंगमंच उत्सव का भी आयोजन किया गया।

सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण तथा प्रचार के लिए पूरे वर्ष सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षकों और टीचर एजूकेटर्स के लिए इन-सर्विस ओरिएंटेशन कोर्स तथा विषयगत कार्यशालाओं का आयोजन करता है। ललित कला अकादमी (एलकेए) भारत में दृश्य कला के विकास के लिए काम कर रही है। पिछले पांच वर्षों में कलाक्षेत्र फाउंडेशन ने विभिन्न कला उत्सवों जैसे कथकली, वार्षिक कला महोत्सव, त्रिमूर्ति उत्सव, रुक्मणी देवी महोत्सव, कलासिबिरम, कलासंब्रक्षण और ध्रुपद महोत्सव का आयोजन किया। संस्कृति मंत्रालय कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) योजना भी लागू कर रहा है जिसके माध्यम से सांस्कृतिक संगठनों को कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

भारतीय भाषाओं के प्राचीन, मध्यकालीन साहित्य को संरक्षित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में स्वायत्त संगठन साहित्य अकादमी ने भारत की गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए लेखकों, विद्वानों, संपादकों, संग्रहकर्ताओं, कलाकारों और अनुवादकों को दिए जाने के लिए 1996 में भाषा सम्मान की शुरुआत की थी। अब तक अकादमी ने शास्त्रीय और मध्यकालीन साहित्य के साथ-साथ भारत की गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं में 102 भाषा सम्मान प्रस्तुत किए हैं। साहित्य अकादमी की एक खास सीरीज है- भारतीय लेखक जो भारतीय साहित्य के निर्माता हैं और जिन्होंने भारतीय भाषाओं में साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

संस्कृति मंत्रालय इस उद्देश्य के लिए अनुदान सहायता के तहत अपने स्वायत्त संगठनों को मासिक अनुदान देता है। संस्कृति मंत्रालय कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) योजना लागू करता है जिसमें कई उप-योजनाएं शामिल हैं जैसे रिपर्टरी अनुदान, राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता, हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता, बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता और अनुभवी कलाकारों को सांस्कृतिक संगठनों/गैर सरकारी संगठनों/व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता।

यह जानकारी आज लोकसभा में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने दी।