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भारतीय सेना और रक्षा लेखा विभाग के बीच चौथा सिनर्जी सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित हुआ

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अग्निवीरों के लिए वेतन एवं भत्तों की व्यवस्था को समय पर लागू करने पर चर्चा की गई
भारतीय सेना और रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) के बीच चौथा सिनर्जी सम्मेलन 28 जून, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। दिन भर चलने वाले इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता थल सेना उप प्रमुख (वीसीओएएस) लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू तथा रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) श्री रजनीश कुमार ने की और इसमें भारतीय सेना एवं रक्षा लेखा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

इस सम्मेलन के प्राथमिक एजेंडे में अग्निपथ योजना पर विचार-विमर्श करना और अग्निवीरों के लिए वेतन एवं भत्तों की सुनियोजित व्यवस्था के सही समय पर कार्यान्वयन पर चर्चा करना शामिल था। सिनर्जी सम्मेलन की अन्य कार्य सूची में भारतीय सेना के जूनियर कमीशंड अधिकारियों/अन्य रैंकों की बेहतर सेवा वितरण के लिए वेतन व लेखा कार्यालयों (पीएओ) के कामकाज में सुधार करना शामिल था। दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों के परामर्श से भविष्य के लिए ठोस कार्य योजनाएं तैयार की गईं।

सीजीडीए ने सशस्त्र बलों के सेवा वितरण में सुधार के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी की शक्ति का लाभ उठाने और बिल-प्रसंस्करण तथा भुगतान की प्रणाली को मौलिक रूप से बदलने हेतु नवीन व्यावसायिक प्रक्रिया री-इंजीनियरिंग को तैनात करने के लिए विभाग के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने डीएडी की विभिन्न पहल जैसे दर्पण (रक्षा लेखा रसीद, भुगतान एवं विश्लेषण) और आगामी केंद्रीकृत वेतन प्रणाली की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने लक्षित उद्देश्यों को सफलतापूर्वक हासिल करने के लिए सेना की ओर से आवश्यक सहयोग पर भी प्रकाश डाला।

थल सेना उप प्रमुख ने रक्षा लेखा विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने भारतीय सेना और डीएडी के वरिष्ठ अधिकारियों से आंतरिक लेखा परीक्षा व भुगतान के विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए निकट से समन्वय में कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने निर्णय लेने और रक्षा बजट के बेहतर प्रबंधन में सहायता हेतु इकाइयों तथा संरचनाओं के लिए लागत और व्यय का खाका तैयार करने की आवश्यकता की बात भी कही। वीसीओएएस ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णयों तक पहुंचने और लेखा तथा लेखा परीक्षा समारोह के माध्यम से वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना का मार्गदर्शन करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा।