प्रतिभागियों ने शिक्षा और कौशल से संबंधित कई संस्थानों का दौरा किया
राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन आज गुजरात के गांधी नगर में शुरू हुआ। सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री तथा राज्य सरकारों के शिक्षा मंत्री भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन के दौरान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री, कौशल विकास और उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर; शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके), भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी), राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) तथा अंतर्राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल उत्कृष्टता केंद्र का दौरा किया।
प्रतिभागियों ने शिक्षा मंत्रियों और विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ गांधीनगर में विद्या समीक्षा केंद्र-वीएसके का दौरा किया। वीएसके के बारे में बोलते हुए श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह गुजरात में प्रौद्योगिकी-सक्षम शिक्षा के लिए एक प्रमुख-केंद्र है। उन्होंने वीएसके के आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और डेटा-संचालित दृष्टिकोण की भी सराहना की, जिसने नामांकन और भागीदारी को बढ़ावा दिया है तथा सीखने के परिणामों में सुधार किया है। पूरे भारत में सीखने के बेहतर परिणामों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, श्री प्रधान ने गुजरात सरकार को प्रशासन और प्रौद्योगिकी-सक्षम सीखने में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रतिभागियों ने बीआईएसएजी-एन स्टूडियो और अन्य तकनीकी केन्द्रों का दौरा किया और बच्चों के सीखने के परिणामों में सुधार के लिए वहां किए जा रहे कार्यों को देखा। इस यात्रा का उद्देश्य ई-सामग्री के प्रसारण और शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में भू-सूचना विज्ञान के उपयोग तथा डिजिटल भेदभाव को समाप्त करने में विभिन्न पहलुओं और बीआईएसएजी-एन की भूमिका पर हितधारकों का अनुकूलन करना है।
डॉ. टी.पी. सिंह, महानिदेशक, बीआईएसएजी-एन, एमईआईटीवाई, गांधीनगर, गुजरात ने स्वयं प्रभा के अंतर्गत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (स्कूल, उच्च और तकनीकी शिक्षा) के लिए 34 चैनलों सहित 51 चैनलों के माध्यम से ई-कंटेंट का समर्थन करने वाले बीआईएसएजी-एन द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों और पीएम ई-विद्या डीटीएच टीवी चैनल (एक वर्ग, एक चैनल) के बारे में जानकारी प्रदान की।
डॉ. सिंह ने सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण ई-कंटेंट उपलब्ध कराने के लिए 12 पीएम ई-विद्या डीटीएच टीवी चैनलों को शुरू करने और इन चैनलों की संख्या को 200 तक बढ़ाने के पीछे लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को दोहराया। डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय भाषाओं, ज्ञान, विभिन्न विषयों, कौशल विकास, संस्कृति, पर्यावरण, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग आदि पर ध्यान केंद्रित करते हुए ई-कंटेंट के निर्माण का सुझाव दिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्थानीय भाषाओं सहित बालवाटिका से कक्षा 12 तक सभी वर्गों के लिए गुणवत्तापूर्ण ई-सामग्री विकसित करने के लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने बीआईएसएजी-एन को सीखने को बढ़ावा देने के लिए अभिनव दृश्य-श्रव्य सामग्री विकसित करने के लिए अपनी सुविधा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय का भी दौरा किया। दौरे के बाद, श्री प्रधान ने कहा, यह दुनिया का अपनी तरह का पहला, और एकमात्र सुपर-स्पेशलाइज्ड फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि गुजरात और भारत का गौरव, एनएफएसयू राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है जो प्रशिक्षित पेशेवरों का एक वर्ग तैयार कर रहा है और साइबर रक्षा और अगली पीढ़ी के खुफिया विशेषज्ञों की मांग को पूरा कर रहा है। श्री प्रधान ने डिजिटल फोरेंसिक और अन्य अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों में कौशल विकास और कौशल वृद्धि के लिए एनएफएसयू और कौशल विकास मंत्रालय के बीच आपसी सहयोग का आह्वान किया।
बाद में, प्रतिभागियों ने अंतर्राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल उत्कृष्टता केंद्र का दौरा किया। यह गांधीनगर में अपनी तरह का एक अनूठा संस्थान है जो भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के कौशल विकास, प्रशिक्षण और अनुसंधान की जरूरतों को पूरा करता है। इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रधान ने कहा कि गुजरात सरकार और मारुति के बीच संयुक्त उद्यम, आईएसीई उद्योग-अकादमिक सहयोग, मिश्रित और रोजगारोन्मुखी शिक्षा का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने एनसीवीईटी को वहां आयोजित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए डिग्री के समकक्ष प्रमाण पत्र प्रदान करने के तरीके विकसित करने का सुझाव दिया।