भारत उन देशों के लिए गेहूं निर्यात की अनुमति देना जारी रखेगा, जो काफी जरूरतमंद हैं, मित्रवत हैं और जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट है: श्री गोयल
गेहूं के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत कभी भी गेहूं का एक पारंपरिक आपूर्तिकर्ता नहीं था: श्री गोयल
भारत के निर्यात पर रोक से वैश्विक बाजारों पर इसका असर नहीं पड़ना चाहिए: श्री गोयल
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वाणिज्य और उद्योग और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में कहा कि भारत उन देशों के लिए गेहूं निर्यात की अनुमति देना जारी रखेगा, जिन्हें इसकी काफी जरूरत है, जो मित्रवत हैं और जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट है।
श्री गोयल ने इस बात को रेखांकित किया कि इस वर्ष गेहूं के उत्पादन में 7 से 8 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन लू के कारण फसल की कटाई जल्दी हुई और इसके उत्पादन में कमी आई है। उन्होंने आगे कहा, “इस स्थिति को देखते हुए हम जितना उत्पादन कर रहे हैं, वह घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है।”
श्री गोयल ने कहा कि भारत गेहूं के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कभी भी पारंपरिक आपूर्तिकर्ता नहीं था और लगभग 2 साल पहले ही गेहूं का निर्यात शुरू किया था। स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वाणिज्य और उद्योग और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले साल 7 लाख मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया गया था और इसमें अधिकांश पिछले दो महीनों के भीतर किया गया, जब रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ था।
श्री गोयल ने आगे कहा, “भारत का गेहूं निर्यात इसके विश्व व्यापार के 1 फीसदी से कम है और हमारे निर्यात पर रोक से वैश्विक बाजारों को प्रभावित नहीं होना चाहिए। हमने गरीब देशों और पड़ोसियों को निर्यात की अनुमति देना जारी रखा है।”