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केन्‍द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के 13वें वार्षिक दिवस समारोह में भाग लिया

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श्रीमती सीतारमण ने वैश्विक और भारतीय संदर्भों में प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों की रूपरेखा का आधार बताया

केन्‍द्रीय वित्त मंत्री ने कोलकाता में क्षेत्रीय कार्यालय का वर्चुअली उद्घाटन किया; सीसीआई की एक उन्नत वेबसाइट की शुरूआत की; और कन्नड़ और मलयालम में अनुवादित सीसीआई की प्रतिस्पर्धा वकालत पुस्तिकाओं का विमोचन किया

केन्‍द्रीय  वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के 13वें वार्षिक दिवस समारोह में भाग लिया।

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इस अवसर पर केन्‍द्रीय वित्त मंत्री ने कोलकाता में क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया और सीसीआई की एक उन्नत वेबसाइट का शुभारंभ किया।

 

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श्रीमती सीतारमण ने कन्नड़ और मलयालम में अनुवादित सीसीआई की प्रतिस्‍पर्धा वकालत पुस्तिकाओं का भी विमोचन किया।

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अपने संबोधन में, श्रीमती सीतारमण ने नियामक कार्य की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए महामारी के चरम के दौरान समय पर पहल करने के लिए सीसीआई की सराहना की। उन्होंने कहा, सीसीआई समय और हितधारकों की अपेक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरा। वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री ने सीसीआई नेतृत्व की भी सराहना की और आयोग को शुभकामनाएं दीं, खासकर जब भारत अमृत काल की ओर बढ़ रहा है, 25 वर्ष जो भारत को @ 100 की ओर ले जाएंगे।

 

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श्रीमती सीतारमण ने प्रतिस्पर्धा के सार्वजनिक नीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तीन कार्रवाई योग्य क्षेत्रों को रेखांकित किया। सबसे पहले, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, वसूली में तेजी लाने के लिए, कंपनियों को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बढ़ाने का कार्य पहले से ही चल रहा है, और सीसीआई को एक सक्रिय तौर पर समझना चाहिए कि इस प्रक्रिया में विशेष रूप से एम और ए में बाजार गठन का कार्य कैसे चल रहा है।

दूसरा, वित्त मंत्री ने कहा कि, आज के संदर्भ में, जब सरकार मांग को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे रही है, तो व्‍यवसायी समूहन से खतरे की संभावना है। उन्होंने अपनी चिंताओं के बारे में जोर देकर कहा कि भारत के पास घरेलू और निर्यात की मांग को पूरा करने की विशाल क्षमता होने के बावजूद वस्‍तुओं और सेवाओं के उत्‍पादन की लागत बढ़ रही है। श्रीमती सीतारमण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महामारी के कारण वस्तुओं की वैश्विक कमी है, और अब, पूर्वी यूरोप में युद्ध के बाद, आपूर्ति श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि इन पर गौर करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति पक्ष में जोड़-तोड़ करने वाली कोई एकाधिकारवादी/द्वयाधिकार प्रवृत्ति नहीं हैं।

तीसरा, श्रीमती सीतारमण ने डिजिटलीकरण से उत्पन्न चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने लिए एक ब्रांड नाम बनाया है, चाहे वह फिनटेक में हो या कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे डिजिटल उपकरणों को अपनाने में। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि कैसे आधार, इंडिया स्टैक और अन्य आवश्यक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना सहायक डिजिटल क्रांति के अग्रदूत रहे हैं। वित्त मंत्री ने सीसीआई से नए डिजिटल युग की तकनीकी बारीकियों को समझने और यह पता लगाने का आह्वान किया क्या इन बाजारों का उपभोक्‍ताओं के लाभ के लिए उचित, प्रभावी और पारदर्शी रूप से उपयोग किया जा रहा है। पारदर्शिता के महत्‍व पर जोर देते हुए श्रीमती सीतारमण ने एफएक्‍यू के लाभों की जानकारी दी जो वकालत का स्‍थायी साधन हो सकते हैं। इन अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का उपयोग तैयार आधार पर सूचना प्रसारित करने के लिए किया जाना चाहिए। श्रीमती सीतारमण ने कहा, यह एक सक्रिय और प्रगतिशील नियामक के रूप में सीसीआई की स्थिति को मजबूत करेगा, और इस तरह के मार्गदर्शन से बाजार में लगे व्‍यापारियों को निवारक उपाय करने में मदद मिलेगी। मंत्री ने सीसीआई की भूमिका की सराहना करते हुए इसे हमेशा संवेदनशील लेकिन अपने दृष्टिकोण में दृढ़ रहने को कहा।

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री राजेश वर्मा ने एक विशेष संबोधन में कहा कि सीसीआई ने बाजारों में प्रतिस्पर्धा की संस्कृति बनाने के लिए जबरदस्त प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा कानून किसी भी आर्थिक नियामक वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण घटक है और गतिशील क्षमता को प्रभावित करता है। श्री वर्मा ने आगे कहा कि भारत में आर्थिक विनियमन का सामान्य वैचारिक धागा स्पष्ट रूप से प्रतिस्पर्धा आधारित आर्थिक विनियमन रहा है। जबकि क्षेत्रीय विनियमों का उद्देश्य एक विशेष क्षेत्र की संरचना करना है, भारतीय बाजार के सभी पहलुओं में प्रतिस्पर्धा की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए सीसीआई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्‍होंने प्रतिस्‍पर्धा कानून 2002 की मजबूती और सीसीआई द्वारा उठाए जा सकने वाले विभिन्‍न सुधारात्‍मक उपायों की चर्चा की लेकिन जोर देकर कहा कि इन शक्तियों का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग होना चाहिए। श्री वर्मा ने वर्षों से सीसीआई द्वारा किए गए प्रतिस्‍पर्धा रोधी प्रचलन में महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों को भी दर्ज किया और कहा कि हितधारक प्रतिस्‍पर्धा संबंधी चिन्‍ताओं के समाधान के लिए एक मंच के रूप में अपना विश्वास दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि, कानून के कानूनी दायरे के भीतर, सीसीआई पहले ही कुछ ऐतिहासिक निर्णय जारी कर चुका हैं और प्रौद्योगिकी बाजारों में जांच का आदेश दिया है। उन्होंने माना कि ऐसे मामलों में जटिल तकनीकी मुद्दे शामिल हैं और प्रवर्तनकर्ता और जांचकर्ताओं के लिए चुनौतियां खड़ी करते हैं। ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए, सीसीआई को इन बाजारों में विकास के साथ खुद को बनाए रखने और प्रतिस्‍पर्धा रोधी साधनों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता होगी। उनके अनुसार, यह समय पर और साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों को सक्षम करेगा और एक संतुलन बनाएगा, ताकि दक्षता और नवीनता प्रभावित न हो और बाजार शक्ति के दुरुपयोग से मुक्त रहे।

 

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सचिव एमसीए ने मौजूदा प्रावधानों की मजबूती की पुष्टि करते हुए, डिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना करने में प्रतिस्पर्धा कानून समीक्षा समिति (सीएलआरसी) की सिफारिशों को भी छुआ। अंत में, सचिव ने क्षेत्रीय कार्यालयों के महत्व को रेखांकित किया, जिनसे अमल को आसान बना देने की उम्मीद थी। आखिर में सचिव ने श्रेत्रीय कार्यालयों का महत्‍व बताया जो मामले दर्ज करने और प्राप्त करने और जांच की सुविधा, अदालती मामलों में आगे की कार्रवाई और दिल्ली में प्रधान कार्यालय के समन्वय से ऑनलाइन बयान देने के लिए केन्‍द्र के रूप में कार्य करते हैं। स्‍पर्धा रोधी कानून का उद्देश्य एक सार्वजनिक भलाई को बढ़ावा देना है जो प्रतिस्पर्धा है, इससे पहले, अपने स्वागत भाषण में, सीसीआई के अध्यक्ष, श्री अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि अर्थव्यवस्था में फिर से उछाल आने की प्रकिया चल रही है और अब, बाजारों को पहले से कहीं अधिक, अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए। श्री गुप्ता ने विश्वास व्यक्त किया कि कानून का अमल मजबूत और विवेकपूर्ण रहा है, आवश्यकता पड़ने पर कुछ क्षेत्रों में अशंकित हस्तक्षेप के साथ, और पिछले 13 वर्षों में, सीसीआई ने 1,100 से अधिक प्रतिस्‍पर्धा रोधी मामलों, 900 संयोजन फाइलिंग की समीक्षा की है, और 1,200 वकालत कार्यक्रम कराए हैं। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि फर्मों के व्यवहार में एक धीमा लेकिन निश्चित परिवर्तन हो रहा है। श्री गुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीसीआई प्रतिस्पर्धा-रोधी आचरण को उजागर करने के लिए अपने जांच टूलकिट और तकनीकों को लगातार उन्नत कर रहा है, जो अक्सर गोपनीयता में रहते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि जांच प्रक्रिया के दौरान फोरेंसिक टूल डेटा एनालिटिक्स और सुबह के छापे धीरे-धीरे उपयोगी तरीके बन रहे हैं। उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए श्री गुप्‍ता ने संयुक्‍त फाइलिंग के तेजी से आकलन की प्रक्रिया में एक समन्‍वयक के रूप में सीसीआई की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि संयोजन मामलों के अनुमोदन के लिए औसत समय कम होकर 17 कार्य दिवस पर आ गया है। उन्‍होंने श्रोताओं को बताया कि अब तक जिन 900 से अधिक संयोजनों की समीक्षा की गई, उनमें 2 प्रतिशत से भी कम मामलों में उपाय बताने का आदेश दिया गया। श्री गुप्‍ता ने कहा, डिजिटल मार्केट द्वारा खड़े किए गए अनोखे मुद्दों की छानबीन करते समय, जांच, निर्णय, ज्ञान निर्माण और क्षमताओं में वृद्धि तथा कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता, मशीन का अध्‍ययन, डेटा विश्‍लेष्‍ज्ञण, एलगोरिथम डिजाइन आदि जैसे क्षेत्रों में क्षमता बढ़ाने के लिए नए कौशल की आवश्यकता है। उन्‍होंने डेटा-सेंट्रिक इकोसिस्‍टम का लेखा-जोखा देने के लिए प्रतिस्‍पर्धा रोधी और विलय दोनों के लिए नियंत्रण टूलकिट को धारदार बनाने और तराशने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, क्योंकि भारत इस प्रक्रिया में सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते डिजिटल उपभोक्ता आधारों में से एक के रूप में उभरा है, जबकि बाजार विकृतियों को तुरंत ठीक करने की जरूरत है, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि नवाचार के लिए प्रोत्साहनों से समझौता न किया जाए।

 

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डिजिटल बाजारों को विनियमित करने में वैश्विक विकास पर प्रकाश डालते हुए, जहां एक्‍स-पोस्ट एंटीट्रस्ट टूल को धीरे-धीरे प्रत्‍याशित उपायों के साथ जोड़ा जा रहा है, अध्यक्ष ने न केवल उनके तौर-तरीकों को समझने के लिए ऐसे ढांचे का अध्ययन करने के महत्‍व पर बल दिया बल्कि भारतीय संदर्भ में इस अपनाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के महत्व पर भी जोर दिया। श्री गुप्ता ने सूचना अंतराल को पाटने के लिए महत्वपूर्ण गैर-प्रचलित उपकरण के रूप में बाजार अध्ययन और हितधारक परामर्श के बढ़ते उपयोग पर प्रकाश डाला, जिससे आयोग को फर्मों के व्यक्तिगत व्यवहार से परे प्रतिस्पर्धा का आकलन करने और एक क्षेत्र के बारे में ज्ञान बढ़ाने का अवसर मिला। या एक मुद्दा। उन्होंने आयोग द्वारा किए गए कई बाजार अध्ययनों की संक्षिप्त रूपरेखा को रेखांकित किया, जिसमें फार्मास्युटिकल और फिल्म वितरण उद्योग अध्ययन शामिल हैं।

श्री गुप्ता ने हाल ही में गोपनीयता व्यवस्था में पेश किए गए प्रक्रियात्मक परिवर्तनों को भी छुआ। सीसीआई सामान्य विनियम, 2009, में एक कठोर परामर्श प्रक्रिया के बाद हाल ही में संशोधन किया गया जिसका उद्देश्‍य गोपनीयता का घेरा स्‍थापित कर एक मजबूत सूचना-साझाकरण व्यवस्था स्थापित करना था जो पक्षों को व्यावसायिक रूप से संवेदनशील जानकारी की पवित्रता से समझौता किए बिना उनके  मामलों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की अनुमति देता है।

सीसीआई की सदस्य डॉ. संगीता वर्मा ने धन्यवाद दिया और इस अवसर की शोभा बढ़ाने और सीसीआई के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करने के लिए केन्‍द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री को धन्यवाद दिया। कोलकाता कार्यालय में मौजूद सदस्य श्री भगवंत सिंह बिश्नोई ने आयोग के क्षेत्रीय कार्यालयों की भूमिका के बारे में बताया और कोलकाता में क्षेत्रीय कार्यालय के उद्घाटन के लिए श्रीमती सीतारमण को धन्यवाद दिया।

इस कार्यक्रम में सरकार, नियामक निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों, उद्योग, शिक्षाविदों, वाणिज्य मंडलों और कानूनी बिरादरी के गणमान्य व्यक्तियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

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