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श्री भगवंत खुबा, केंद्रीय रसायन और उर्वरक और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री ने ‘इंडस्ट्री कनेक्ट विद सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कॉन्क्लेव’ का उद्घाटन किया

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यह अत्यंत जरूरी है कि उद्योग और शिक्षाविदों न केवल मिलजुलकर काम करें बल्कि एक साथ विकास भी करें

ज्ञान का सृजन और उसका व्यावसायीकरण नदी के दो छोरों की तरह है, जिन्हें इस तरह की नियमित बातचीत के माध्यम से एक साथ जोड़ा जाना चाहिए: श्री भगवंत खुबा

केंद्रीय रसायन और उर्वरक एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री भगवंत खुबा ने इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली स्थित हैबिटेट वर्ल्ड में डीसीपीसी के तहत ‘इंडस्ट्री कनेक्ट विद सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कॉन्क्लेव’ का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम रसायन और पेट्रोकेमिकल विभाग (डीसीपीसी) के तहत सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी) द्वारा आयोजित किया गया था।

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केंद्रीय राज्यमंत्री ने माननीय प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत मिशन को पूरा करने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकसित करने में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। अनुसंधानों को प्रदर्शित करने, उपयुक्त उद्योग भागीदार की पहचान करने और उद्योग के भविष्य की आवश्यकताओं को समझने के लिए डीसीपीसी और सीआईपीईटी के प्रयासों को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि सीओई ऊर्जा सक्षम उपकरणों, पर्यावरण के अनुकूल बहुलक उत्पादों, कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण, स्मार्ट पॉलिमर यानी बहुलक, स्वास्थ्य देखभाल में बहुलक आदि के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और उसके जरिए प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण की सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ स्टार्टअप को प्रोत्साहन दे रही है।

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भविष्य में इन परियोजनाओं के शोध परिणाम भारत को स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का केंद्र बना देंगे। उन्होंने कहा कि जैव चिकित्सा उपकरणों और खिलौनों पर आधारित परियोजनाएं आयात पर भारत की निर्भरता घटाएंगी और इस तरह हमारे लिए विदेशी मुद्रा की बचत करेंगी।

हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व को प्रदर्शित करते हुए, श्री भगवंत खुबा ने कहा कि ‘‘यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उद्योग और शिक्षाविदों को न सिर्फ एक साथ काम करना चाहिए बल्कि एक साथ विकास करना चाहिए। ज्ञान सृजन और उसका व्यावसायीकरण एक नदी के दो छोरों की तरह है जिसे सभी हितधारकों के बीच इस तरह की नियमित बातचीत के माध्यम से एक साथ जोड़ा जाना चाहिए।’’ उन्होंने सभी हितधारकों से काइजेन की जापानी अवधारणा को लागू करने और देश में अनुसंधान एवं नवाचार का एक समग्र इकोसिस्‍टम बनाने के लिए साइलो में काम करना छोड़ने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुसंधान और नवाचार प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए देशभर में सीआईपीईटी और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में उत्कृष्टता केंद्र बनाया है। उन्होंने मंच पर मौजूद वैज्ञानिकों से जटिल औद्योगिक समस्याओं के स्थायी और वैकल्पिक समाधान तलाशने की दृष्टि से अनुसंधान करने और प्रौद्योगिकी एवं नीति अनुसंधान में सहयोगी अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों के माध्यम से उनका समर्थन करने का अनुरोध किया। अब समय आ गया है कि इस शोध का व्यावसायीकरण करने के लिए उद्योग को आगे आने में सक्षम बनाया जा सके। इस संबंध में उद्योग की जरूरतों को जानने में इस तरह के सम्मेलन और बातचीत लाभप्रद होती है।

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माननीय प्रधानमंत्री द्वारा ‘‘आत्मानिभर भारत के आह्वान’ को दोहराते हुए, राज्यमंत्री ने कहा कि “भारत में कुशल मानवशक्ति की कोई कमी नहीं है और सरकार उद्योग को आकर्षित करने और हमारे उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बाजार में लाने के लिए अनेक कदम उठा रही है। भारत सरकार उद्योग के मसलों के प्रति संवेदनशील है और उन्हें वित्त पोषण एवं संस्थानों की स्थापना और प्रक्रियाओं के जरिए मदद करना चाहती है। यह हमारे देश को आर्थिक विकास की ओर भी ले जाएगा।’’

सुश्री आरती आहूजा, सचिव (रसायन एवं पेट्रोरसायन) ने प्रतिभागियों को मंत्रालय द्वारा की गई पहलों की जानकारी दी। रसायन और पेट्रोरसायन विभाग अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के लिए योजना लागू कर रहा है और विभिन्न प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों में पहले ही 13 सीओई स्थापित कर चुका है। सरकार द्वारा वित्त पोषित उत्कृष्टता केंद्र के अलावा, सरकार उद्योग की जरूरत के लिए देश में अन्य प्रयोगशालाओं और संस्थानों की क्षमता का दोहन करने की भी उम्मीद कर रही है।

श्री भगवंत खुबा ने आज इस कार्यक्रम में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) और उद्योग को जोड़ने के लिए पोर्टल के साथ-साथ सीआईपीईटी का एक ई-न्यूजलेटर भी लॉन्‍च किया।

उद्घाटन कार्यक्रम के बाद, निम्नलिखित विषयों पर एक तकनीकी सत्र आयोजित किए गए: बायो-इंजीनियर्ड पॉलीमेरिक सिस्टम, पॉलिमर आधारित बायो-मेडिकल डिवाइसेस, पॉलिमर-आधारित खिलौने और उन्नत पॉलिमर और कंपोजिट। विभिन्न सीओई के वैज्ञानिकों ने उद्योगपतियों को अपने अनुसंधानों पर एक प्रस्तुति दी। सीआईपीईटी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) शिशिर सिन्हा ने धन्यवाद प्रस्‍ताव दिया।

संगोष्ठी में प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों, शोध-छात्रों, सीआईपीईटी के स्टाफ और छात्रों, पूर्व छात्रों, उद्योगों और संघों ने उपस्थित होकर और वर्चुअल माध्यम दोनों तरह से हिस्सा लिया।