सामाजिक संरचना पिरामिड के निचले हिस्से के लोगों को डिजिटाइजेशन के मूल में होना चाहिए : श्री अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय रेल, संचार तथा इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि सामाजिक संरचना (पिरामिड) के निचले हिस्से के लोगों को डिजिटाइजेशन के मूल में होना चाहिए। सरकार के अंत्योदय दर्शन को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हम जो कुछ करते हैं, उसका लक्ष्य समाज के सीमांत वर्गों के लिए लाभ, परिवर्तनकारी शक्ति तथा एक बेहतर वातावरण उपलब्ध कराना होगा।
आज यहां ‘‘संकल्प से सिद्धि” सम्मेलन में ‘‘भविष्य के लिए तैयार भारत का निर्माण करने के लिए डिजिटल मंचों का लाभ उठायें” विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए श्री अश्विनी वैष्णव ने उन पांच विषय वस्तुओं / बिन्दुओं को रेखांकित किया जो डिजिटाइजेशन से संबंधित सरकार तथा उद्योग के विकास प्रयासों में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। इन विषय वस्तुओं में – इलेक्ट्रोनिक्स तथा विनिर्माण के अन्य प्रकार, सेमीकंडक्टर सेक्टर में अग्रणी स्थान, सार्वजनिक डिजिटल मंचों का उपयोग तथा डिजिटाइजेशन का लाभ उठाने के लिए दूरसंचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल शामिल थे।
पिछले दशक में इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण द्वारा की गई वृद्धि की चर्चा करते हुए श्री वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग ने पिछले 7-10 वर्षों में उल्लेखनीय विकास किया है। यह बढ़कर 80 बिलियन डॉलर का हो गया है, इसने लगभग 25 लाख लोगों को रोजगार दिया है तथा आने वाले वर्षों में यह बढ़कर 300 बिलियन डॉलर का उद्योग बन जाने के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग की वृद्धि को और बढ़ाने के लिए उद्योग से ढेर सारे इनपुट प्राप्त हुए हैं और हम इनमें से कई सुझावों को कार्यान्वित करने की प्रक्रिया में हैं।
सेमीकंडक्टर सेक्टर की क्षमता की चर्चा करते हुए इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि यह सेक्टर दूरसंचार, आईटी हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल, स्टील तथा भारी मशीनरी सहित कई उद्योगों की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अपनी प्रतिभा का लाभ उठाना, देश में सेमीकंडक्टर उद्योग का निर्माण करना है तथा साथ ही अगले 10 से 15 वर्षों में निरंतर तरीके से इसके परिमाण में बढोतरी करनस है। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने इस संबंध में कई अच्छी पहलें की हैं जिन्हें उद्योग से भी बढ़िया प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही हैं।
सार्वजनिक मंचों की चर्चा करते हुए श्री वैष्णव ने उल्लेख किया कि सरकार यूपीआई, को-विन तथा डिजिलॉकर की तर्ज पर सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्मों का निर्माण करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि एक बार इनका निर्माण हो जाने पर इन प्लेटफॉर्मों को उपभोक्ता केंद्रित ऐप्लीकेशनों के विकास के लिए स्टार्ट अप समुदाय तथा उद्योग के लिए खोल दिया जाएगा। सरकार एक राष्ट्रीय डाटा संरचना भी लागू करेगी। लोगों के गैर व्यक्तिगत डाटा का उपयोग उनके लिए बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा।
रेलवे, रक्षा तथा इस्पात आदि जैसे बड़े सेक्टरों के डिजिटाइजेशन की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री वैष्णव ने कहा कि इन सेक्टरों में डिजिटाइजेशन निश्चित रूप से पहले की तुलना में अधिक तेज गति से होना चाहिए और सरकार उद्योग की सहभागिता के साथ इस दिशा में सक्रिय कदम उठा रही है।
दूरसंचार/4जी/5जी तथा डिजिटल विश्व के संयोजन की चर्चा करते हुए श्री वैष्णव ने कहा कि मोबाइल डिजिटल सेवाओं के उपयोग का प्राथमिक मोड है। उन्होंने कहा कि हमें इस तर्ज पर सोचना चाहिए कि हम किस प्रकार डिजिटाइजेशन की दिशा में इस परिवर्तन में तेजी ला सकते हैं तथा किस प्रकार साइबर सुरक्षा की चुनौती को देखते हुए इसे और अधिक सुरक्षित बना सकते हैं।
विविध हितधारकों वाले ‘‘संकल्प से सिद्धि” सम्मेलन का आयोजन भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का समारोह मनाने के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा इंडिया@75 फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में विकास के विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों तथा भविष्य की रूपरेखा पर विचार-विमर्श करने के लिए महत्वपूर्ण हितधारकों को एकत्रित किया है। सूचना एवं प्रसारण, युवा मामले तथा खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर एवं विदेश मामले तथा संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने भी श्री अश्विनी वैष्णव के अतिरिक्त मुख्य भाषण दिया।
संकल्प से समृद्धि ने एक नए भारत के लिए सफलता की राह पर मार्ग निर्देशन करने के लिए एकल मंच पर सरकार के गणमान्य व्यक्तियों, निर्णय करने वालों, नीति निर्माताओं, थिंक टैंक, उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्तियों तथा सिविल सोसाइटी के प्रमुख व्यक्तियों को एक साथ एकत्रित किया है। इसका उद्देश्य इंडिया@75 का समारोह मनाना तथा वर्ष 2047 में इंडिया@100 द्वारा एक नवीन भारत के लिए रूपरेखा तैयार करना है।