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पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया

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आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए उत्तर-पूर्वी भारत में जैव ईंधन का परिप्रेक्ष्य विषय पर संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आयोजन

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने आज गुवाहाटी में उत्तर-पूर्वी भारत में जैव ईंधन का परिप्रेक्ष्य विषय पर एक संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी का आयोजन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्वावधान में भारत सरकार के आजादी का अमृत महोत्सव के संदर्भ में किया गया। आजादी का अमृत महोत्सव, हमारी आजादी के 75 साल और इस अवधि में हासिल की गई प्रगति एवं उपलब्धियों को याद करने और उसका उत्सव मनाने की एक पहल है। यह कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव के तहत होने वाले प्रतिष्ठित आयोजनों में से एक है और इसे जैव ईंधन, एक ऐसा क्षेत्र जिसमें उत्तर – पूर्वी भारत में अपार संभावनाएं हैं, पर केंद्रित करके आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री के. वी. रामनमूर्ति, सीजीएम (आईओएओडीएसओ) ने की और इसमें सरकार (सचिव, उद्योग एवं वाणिज्य, असम सरकार) उद्योग [असम बायोरिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड (एनआरएल), इंडियन ऑयल], असम ऊर्जा विकास एजेंसी, एनईसीटीआर (नार्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रिसर्च पूर्वोत्तर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग और पहुंच केंद्र) जैसे सरकारी निकायों के प्रतिनिधियों और तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकों ने वक्ता के तौर पर भाग लिया।

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इस संगोष्ठी में इथेनॉल और विभिन्न बायोमास स्रोतों से संपीड़ित बायोगैस, यूज्ड कुकिंग ऑयल (यूसीओ) और बायो-हाइड्रोजन से बायोडीजल जैसे जैव ईंधन से जुड़ी संभावनाओं, वर्तमान स्थिति और आगे की राह के बारे में विचार विमर्श किया गया। इस कार्यक्रम में एचपीसीएल, बीपीसीएल जैसे ओएमसी; एफएसएसएआई जैसे सरकारी निकायों, सीआईआई जैसे उद्योग जगत से जुड़े संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों, एसएटीएटी कार्यक्रम के एलओआई धारक, आईआईटी गुवाहाटी के ग्रीन सेल, तेजपुर विश्वविद्यालय और कपास विश्वविद्यालय संबद्ध नवोदित उद्यमियों और शोधार्थियों की भी सक्रिय भागीदारी देखी गई।

इस संगोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने जैव ईंधन के क्षेत्र सहित राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने की उत्तर – पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) की अपार अप्रयुक्त क्षमताओं के बारे में विचार विमर्श किया। इस क्षेत्र में 20,000 टीएमटी की वर्तमान अनुमानित बायोमास उपलब्धता के साथ, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) के ~ 1000 टीपीडी के उत्पादन की गुंजाइश है। इस इलाके से संबद्ध स्थानीयकृत उपायों का पता लगाने और बांस, अप्रयुक्त धान के भूसे, पशुपालन एवं वृक्षारोपण के क्रम में निकलने वाले अपशिष्ट जैसे अप्रयुक्त संसाधनों का उपयोग करने की भी जरूरत है। एबीआरपीएल ने बांस आधारित एथनॉल बायोरिफाइनरी की स्थापना से संबंधित अपनी तैयारियों और इस प्रक्रिया में अब तक के अपने अनुभवों के बारे में विस्तार से बताया।

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इंडियन ऑयल ने जैव ईंधन के क्षेत्र में विभिन्न ओएमसी द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी। इंडियन ऑयल सितंबर 2021 से उत्तर–पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने की नीति का पालन कर रहा है और वह 2025 तक केंद्र सरकार के 20 प्रतिशत प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में पूरी तरह सक्रिय  है। इसके अलावा, इंडियन ऑयल एसएटीएटी योजना (किफायती परिवहन के लिए स्थायी विकल्प), जोकि राष्ट्रीय स्तर पर संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) के 15 एमएमटीपीए और 50 एमएमटीपीए उत्पादन का लक्ष्य रखती है, के तहत इस इलाके में संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) को बढ़ावा देने की दिशा में भी ठोस प्रयास कर रहा है। इंडियन ऑयल इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उद्योग जगत, उद्यमियों, शिक्षाविदों और राज्य सरकार के साथ सहयोग कर रहा है।