खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वॉश (पानी, स्वच्छता व हाइजीन) पर डीएवाई-एनआरएलएम ने राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया
संवाद का विषय ’बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए एसएचजी परिवारों के बीच स्वास्थ्यपरक व्यवहार को प्रबल बनाने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम की महिला सामूहिकता का लाभ उठाना’ है
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, ’’परिवार के स्तर पर कुपोषण से संबंधित मुद्दों को हल करने में एसएचजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’ श्री सिन्हा मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) द्वारा, यूनिसेफ समर्थित रोशनी केंद्र और बीएमजीएफ समर्थित पीसीआई के सहयोग से आयोजित खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और वॉश यानी पानी, स्वच्छता और हाइजीन (एफएनएचडब्ल्यू) पर आयोजित राष्ट्रीय परिचर्चा में बोल रहे थे। परिचर्चा का मुख्य विषय था ’बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए एसएचजी परिवारों के बीच स्वास्थ्यपरक व्यवहार को प्रबल बनाने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम की महिला सामूहिकता का लाभ उठाना’ था। व्यवहार परिवर्तन से संबंधित गतिविधियों के अलावा, उन्होंने कहा कि महिला समूहों ने अपने परिवारों में सबसे आखिर में और सबसे कम खाने वाली महिलाओं जैसे लैंगिक मुद्दों के समाधान करने के लिए काम शुरू किया है और इन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ’’ग्रामीण महिलाओं की सेवाएं टीकाकरण और संस्थागत प्रसव जैसी सार्वजनिक सेवाओं के लिए ली जा सकती हैं।’’
श्रीमती नीता केजरीवाल, संयुक्त सचिव, एमओआरडी ने एफएनएचडब्ल्यू एकीकरण के लिए डीएवाई-एनआरएलएम रणनीति की व्याख्या की जिसमें सिस्टम को मजबूत करना, लाइन विभागों के साथ सम्मिलन और एसआरएलएम वर्टिकल के बीच, सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार तथा एफएनएचडब्ल्यू उद्यमों को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने स्वास्थ्यपरक व्यवहार को बढ़ावा देने की आवश्यकता और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय के साथ जुड़ने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
इस आयोजन में पूरे भारत से 5000 से अधिक राज्य मिशन स्टाफ और महिला सामूहिक सदस्यों ने भाग लिया। तमिलनाडु, ओडिशा और मेघालय से सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों या सीआरपी के रूप में प्रशिक्षित एसएचजी सदस्यों ने विशेष प्रस्तुतियां दीं।
श्रीमती नागलक्ष्मी, अध्यक्ष, सीएलएफ, और सदस्य तमिलनाडु सेनेटरी नैपकिन प्रोड्यूसर फेडरेशन, ने कहा, ’’पिछले 4 वर्षों में हमने 463 लाख नैपकिन पैकेट का उत्पादन और आपूर्ति की है। हमने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से प्रसवोत्तर माताओं, महिला कैदियों और अस्पताल में भर्ती मरीजों को 16.75 करोड़ मूल्य के लगभग 80 लाख बेल्ट प्रकार के नैपकिन पैकेट की आपूर्ति की है।’’
श्रीमती श्यामला, तमिलनाडु एसआरएलएम के एनसीडी स्क्रीनिंग कार्यक्रम के तहत एक महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवी ने भी अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, ’’मुझे स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्लूकोमीटर और बीपी उपकरण का उपयोग करके मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। मैं मुंह/गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, स्तन कैंसर, टीबी, कुष्ठ आदि के रोगियों की भी जांच करती हूं।’’ उसके द्वारा ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारी को रेफर किए जाने के बाद बीमारियों की पुष्टि की जाती है और पर्चे के अनुसार घर-घर दवाइयां बांटी जाती हैं।
श्रीमती झुनू बेहरा, ओडिशा एसआरएलएम की एक एफएनएचडब्ल्यू सीआरपी ने बताया किया कि कैसे महिला समूह उन जगहों पर पोषण माइक्रो योजनाएं तैयार करती हैं जहां वे महिलाओं और किशोरों के लिए पोषण संबंधी समस्याओं को चिन्हित करती हैं तथा उसे प्राथमिकता देती हैं, और कार्रवाई की योजना बनाती हैं। उन्होंने कहा, ’’हम मैत्री बैठकों के दौरान महिलाओं को आहार विविधता को लेकर सलाह देते हैं और पुष्टि महोत्सव का भी आयोजन करते हैं जो गांवों में देसी खाद्य पदार्थ के उपभोग को बढ़ावा देने के लिए एक स्थानीय खाद्य त्यौहार हैं।’’
श्रीमती बरीहटनजेन मकडोह, मेघालय एसआरएलएम की एफएनएचडब्ल्यू सीआरपी ने बताया कि कैसे उन्हें अपनी एसएचजी बैठकों में एफएनएचडब्ल्यू के विषयों पर चर्चा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। समूह की बैठक में परिचर्चा और सहकर्मी से सीखने के नजरिये का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ’’मैं अब अन्य एसएचजी के अग्रणियों को ऐसा करने के लिए प्रशिक्षित कर रही हूं, ताकि हमारे समुदायों में जागरूकता पैदा हो।’’
एसएचजी नेटवर्क की जबरदस्त क्षमता पर जोर देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त आयुक्त डॉ. सिला देब ने कहा, ’’एसएचजी महिलाएं ग्रामीण समुदायों तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण संदेशों को प्रसारित करने, महिलाओं के निर्णय लेने और सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने में भूमिका निभा सकती हैं।’’ उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एमओआरडी के साथ अभिसरण में काम करके निवारक देखभाल के साथ-साथ आजीविका पैदा करने के अवसर हैं। डॉ. तनुजा, मनोज नेसारी, निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, आयुष मंत्रालय, ने भी बताया कि किचन गार्डन में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को बढ़ावा दिया जा सकता है और इन जड़ी बूटियों से बने उत्पादों की पैकेजिंग आजीविका का अवसर बन सकती है।
श्री रामकृष्ण चित्तूरी, सीईओ, मेघालय एसआरएलएम द्वारा भी प्रस्तुतियां दी गईं। उन्होंने ग्रामीण समुदायों में पीएचसी और सीएचसी में सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य, सामुदायिक और ग्रामीण विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग द्वारा अभिसरण कार्रवाई के लिए एसआरएलएम के कार्य को प्रस्तुत किया।
श्रीमती मुथुमीनल पल्लवी बलदेव, अतिरिक्त सीईओ, तमिलनाडु एसआरएलएम ने गैर-संचारी रोगों की जनसंख्या-आधारित जांच और स्वास्थ्य विभाग को सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति के लिए एसएचजी महिलाओं को शामिल करने के अनुभव को साझा किया। सुश्री मानसी निंभल, सीईओ, ओडिशा एसआरएलएम ने सामुदायिक संस्थानों और खाद्य उत्सवों या ’पुष्टिमहोत्सव’ के काम के माध्यम से आहार विविधता में सुधार के अनुभव को साझा किया।
इस परिचर्चा का आयोजन स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ’अमृत महोत्सव’ के लिए चल रही गतिविधियों के तहत किया गया था। यह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों और सफल दृष्टिकोणों को उजागर करने के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान और राज्यों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
श्रीमती नागलक्ष्मी, अध्यक्ष, सीएलएफ और सदस्य तमिलनाडु सेनेटरी नैपकिन प्रोड्यूसर फेडरेशन और श्रीमती श्यामला तमिलनाडु एसआरएलएम के एनसीडी स्क्रीनिंग कार्यक्रम के तहत महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवी
श्रीमती झुनू बेहरा, एफएनएचडब्ल्यू सीआरपी, अंगुल जिला, ओडिशा एसआरएलएम
गुजरात के अमरेली जिले के अमरेली ब्लॉक के मतिरला गांव में वर्चुअल कार्यक्रम में भाग लेते संगम एसएचजी के सदस्य
पदाधिकारी (ओबी), कार्यकारी समिति सामाजिक कार्य समिति (ईसी एसएसी) के सदस्य, अरियानकुप्पम ब्लॉक स्तरीय फेडरेशन, पुडुचेरी जिला वर्चुअल कार्यक्रम में भाग लेते हुए