प्रधानमंत्री ने शहीद दिवस पर विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, कोलकाता में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन किया
‘आज देश अपने इतिहास को, अपने अतीत को, ऊर्जा के जाग्रत स्रोत के रूप में देखता है’
‘हमारी प्राचीन कलाकृतियों की बेधड़क विदेशों में तस्करी होती थी, जैसे उनकी कोई अहमियत ही नहीं थी, लेकिन अब भारत की उन धरोहरों को वापस लाया जा रहा है’
‘बिप्लोबी भारत गैलरी पश्चिम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और संवारने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है’
‘हेरिटेज टूरिज्म बढ़ाने के लिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है’
‘भारत भक्ति का शाश्वत भाव, भारत की एकता, अखंडता, आज भी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए’
‘भारत की नई दृष्टि भारत के आत्मविश्वास की है, आत्मनिर्भरता की है, पुरातन पहचान की है, भविष्य के उत्थान की है, और इसमें कर्तव्य की भावना का सबसे ज्यादा महत्व है’
‘स्वतंत्रता संग्राम की एक धारा थी क्रांति की, दूसरी धारा सत्याग्रह की और तीसरी धारा थी जन-जागृति और रचनात्मक कामों की। ये तीनों तिरंगे के तीन रंगों केसरिया, सफेद और हरे में उभरती हैं’
‘नए भारत के लिए, केसरिया रंग कर्तव्य और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्रेरणा देता है, सफ़ेद रंग अब ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का पर्याय है और हरा रंग आज पर्यावरण की रक्षा और नीला चक्र ब्लू इकॉनमी के लिए है’
‘भारत का बढ़ता हुआ निर्यात, हमारी इंडस्ट्री की शक्ति, हमारे एमएसएमई, हमारी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता, हमारे एग्रीकल्चर सेक्टर के सामर्थ्य का प्रतीक है’
शहीद दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन किया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ और केंद्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत बीरभूम में हुई हिंसक घटना के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए की। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार, बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं बंगाल के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि ऐसी वारदात को अंजाम देने वालों को, ऐसे अपराधियों का हौसला बढ़ाने वालों को कभी माफ न करें।’
शहीद दिवस पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर-वीरांगनाओं को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान की गाथाएं देश के लिए दिन रात मेहनत करने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे अतीत की विरासतें हमारे वर्तमान को दिशा देती हैं, हमें बेहतर भविष्य गढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। इसलिए, आज देश अपने इतिहास को, अपने अतीत को, ऊर्जा के जाग्रत स्रोत के रूप में देखता है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी प्राचीन कलाकृतियों की बेधड़क विदेशों में तस्करी होती थी, जैसे उनकी कोई अहमियत ही नहीं थी। लेकिन अब भारत की उन धरोहरों को वापस लाया जा रहा है। 2014 से पहले के कई दशकों में सिर्फ दर्जनभर प्रतिमाओं को ही भारत लाया जा सका था। लेकिन बीते 7 सालों में ये संख्या 225 से भी अधिक हो चुकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘निर्भीक सुभाष’ के बाद बिप्लोबी भारत गैलरी के रूप में कोलकाता की समृद्ध विरासत में एक खूबसूरत मोती जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि बिप्लोबी भारत गैलरी पश्चिम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और संवारने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। उन्होंने बताया कि राज्य के प्रतिष्ठित स्थलों जैसे विक्टोरिया मेमोरियल, प्रतिष्ठित गैलरियां, मेटकाफ हाउस आदि को भव्य और सुंदर बनाने का काम करीब–करीब पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता की ये निशानियां, भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ी को निरंतर प्रेरित करें, इस दिशा में ये एक बहुत बड़ा प्रयास है।’
श्री मोदी ने बताया कि हेरिटेज टूरिज्म बढ़ाने के लिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है। स्वदेश दर्शन जैसी कई योजनाओं के जरिए हेरिटेज टूरिज्म को गति दी जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दांडी मार्च की स्मृति में बना स्मारक हो या फिर जलियांवाला बाग स्मारक का पुनर्निमाण हो, केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हो या फिर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के स्मारक का निर्माण, बाबा साहेब मेमोरियल हो या भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल और अयोध्या- बनारस के घाटों का सुंदरीकरण हो या फिर देशभर में ऐतिहासिक मंदिरों और आस्था स्थलों का जीर्णोद्धार, हेरिटेज टूरिज्म नई संभावनाएं खोल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को गुलामी के सैकड़ों वर्षों के कालखंड से आजादी, तीन धाराओं के संयुक्त प्रयासों से मिली थी। एक धारा थी क्रांति की, दूसरी धारा सत्याग्रह की और तीसरी धारा थी जन-जागृति की। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे मन में ये तीनों ही धाराएं, तिरंगे के तीन रंगों में उभरती रही हैं। हमारे तिरंगे का केसरिया रंग, क्रांति की धारा का प्रतीक है। सफेद रंग, सत्याग्रह और अहिंसा की धारा का प्रतीक है। हरा रंग, रचनात्मक प्रवृत्ति की धारा का, और तिरंगे के अंदर नीले चक्र को मैं भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि आज तिरंगे के तीन रंगों में नए भारत का भविष्य भी देख रहा हूं। केसरिया रंग अब हमें कर्तव्य और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्रेरणा देता है। सफ़ेद रंग अब ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का पर्याय है। हरा रंग आज पर्यावरण की रक्षा के लिए, रीन्यूएबल एनर्जी के लिए भारत के बड़े लक्ष्यों का प्रतीक है और तिरंगे में लगा नीला चक्र आज ब्लू इकॉनमी का पर्याय है।
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को जब फांसी हुई, तो ये 23-24 साल के नौजवान थे। क्रांतिकारियों की उम्र का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि देश के युवाओं को कभी अपनी शक्तियों को, अपने सपनों को कमतर नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ऐसा कोई काम नहीं जो भारत का युवा कर ना सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो भारत का युवा प्राप्त ना कर सके।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के आंदोलन ने हमें हमेशा एक भारत- श्रेष्ठ भारत के लिए काम करने की प्रेरणा दी है। आजादी के मतवालों की क्षेत्रीयता अलग-अलग थी, भाषाएं-बोलियां भिन्न-भिन्न थीं। यहां तक कि साधन-संसाधनों में भी विविधता थी। लेकिन राष्ट्रसेवा की भावना और राष्ट्रभक्ति एकनिष्ठ थी। उन्होंने कहा, ‘भारत भक्ति का शाश्वत भाव, भारत की एकता, अखंडता, आज भी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। आपकी राजनीतिक सोच कुछ भी हो, आप किसी भी राजनीतिक दल के हों, लेकिन भारत की एकता-अखंडता के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़, भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें नए भारत में नई दृष्टि के साथ ही आगे बढ़ना है। ये नई दृष्टि भारत के आत्मविश्वास की है, आत्मनिर्भरता की है, पुरातन पहचान की है, भविष्य के उत्थान की है। इसमें कर्तव्य की भावना का ही सबसे ज्यादा महत्व है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ही भारत ने 400 बिलियन डॉलर यानि 30 लाख करोड़ रुपये के प्रॉडक्ट्स के एक्सपोर्ट का नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत का बढ़ता हुआ एक्सपोर्ट, हमारी इंडस्ट्री की शक्ति, हमारे एमएसएमई, हमारी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता, हमारे एग्रीकल्चर सेक्टर के सामर्थ्य का प्रतीक है।
यह गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के लिए उनके सशस्त्र प्रतिरोध को प्रदर्शित करती है। इस पहलू को अक्सर स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्यधारा की गौरवगाथा में उचित स्थान नहीं दिया गया है। इस नई गैलरी का उद्देश्य 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना और क्रांतिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
बिप्लोबी भारत गैलरी उस राजनीतिक और बौद्धिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है, जिसने क्रांतिकारी आंदोलन को गति दी। यह क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत, क्रांतिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण संघों के गठन, आंदोलन के प्रसार, इंडियन नेशनल आर्मी का गठन, नौसेना विद्रोह के योगदान आदि को प्रदर्शित करती है।