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श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा- खनन क्षेत्र का विकास भारतीय अर्थव्यवस्था को सही गति देता है

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नई दिल्ली में 36वीं अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) का उद्घाटन हुआ

भारत 58 साल बाद आईजीसी की मेजबानी कर रहा है

आईजीसी “भू-विज्ञान: सतत भविष्य के लिए बुनियादी विज्ञान”विषय पर आधारित है

केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान खनन के तहत भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है और यह क्षेत्र प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से देश भर में 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। आज 36वें अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए मंत्री श्री जोशी ने कहा कि वर्तमान सरकार में खनिज अन्वेषण की गति कई गुना बढ़ गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था को सही गति प्रदान करने वाले खनन क्षेत्र में किए गए हाल के सुधारों पर प्रकाश डालते हुए श्री जोशी ने उत्कृष्टता में नई ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा किए गए उल्लेखनीय कदमों की प्रशंसा की। 36वीं अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक कांग्रेस के महत्व को समझाते हुए मंत्री ने कहा कि 58 साल के बाद भारत द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम सतत विकास के क्षेत्र में अधिक प्रभावी उपकरण तैयार करने के लिए दुनिया भर के भू-वैज्ञानिकों को सही मंच प्रदान करेगा।

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कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे, संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम को संबोधित किया। समारोह में अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों में खान मंत्रालय के सचिव डॉ. आलोक टंडन, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, जीएसआई के डीजी श्री राजेंद्र सिंह गरखल भी उपस्थित रहे।

36वीं अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक कांग्रेस “भू-विज्ञान: सतत भविष्य के लिए बुनियादी विज्ञान”विषय पर आधारित है। आईजीसी खान मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और बांग्लादेश, नेपाल तथा श्रीलंका की विज्ञान अकादमियों का एक संयुक्त प्रयास है। भू-विज्ञान के ओलंपिक के रूप में चर्चित आईजीसी को आईजीसी के वैज्ञानिक प्रायोजक इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोलॉजिकल कांग्रेस (आईयूजीएस) के तत्वावधान में हर चार साल में एक बार आयोजित किया जाता है। तीन दिवसीय इस आयोजन में दुनिया भर से 5000 – 7000 प्रतिनिधि भाग लेंगे।

यह आयोजन भू-विज्ञान और पेशेवर नेटवर्किंग के क्षेत्र में ज्ञान तथा अनुभव साझा करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगा। यह खनन, खनिज अन्वेषण और जल प्रबंधन, खनिज संसाधन और पर्यावरण में नवीनतम प्रौद्योगिकियों के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी देगा। आईजीसी के उद्घाटन दिवस पर स्मारक डाक टिकट, प्रथम दिवस कवर और जियो टूरिज्म हॉटस्पॉट पर बहुरंगी कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया।

भारत ने अपने क्षेत्रीय भागीदारों का नेतृत्व करते हुए वर्ष 2020 में भारत में 36वें आईजीसी की मेजबानी करने के लिए 2012 में ब्रिस्बेन में आयोजित 34वीं अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक कांग्रेस में बोली लगाई थी। वर्तमान भू-वैज्ञानिक कांग्रेस, जो मूल रूप से 2-8 मार्च, 2020 के दौरान आयोजित होने वाली थी, को कोविड महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। भारत ने 58 साल पहले आईजीसी के 22वें सत्र की मेजबानी की थी जो एशियाई धरती पर आईजीसी का पहला आयोजन था।