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रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग ने “औषध उद्योग को मजबूत बनाने (एसपीआई)” की योजना के लिए दिशानिर्देश जारी किए

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500 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ, यह योजना देश भर में मौजूदा फार्मा समूहों और एमएसएमई को उनकी उत्पादकता, गुणवत्ता और स्थिरता में सुधार के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगी

500 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ, यह योजना देश भर में मौजूदा फार्मा समूहों और एमएसएमई को उनकी उत्पादकता, गुणवत्ता और स्थिरता में सुधार के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगी

यह योजना सामान्य सुविधाओं के निर्माण के लिए फार्मा समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करके भारत को फार्मा क्षेत्र में विश्‍व स्‍तर पर अग्रणी बनाने में योगदान देगी
फार्मास्युटिकल विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने वित्त वर्ष 21-22 से वित्त वर्ष 25-26 की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ “फार्मास्युटिकल उद्योग को मजबूत बनाने (एसपीआई)” की योजना के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह योजना देश भर में मौजूदा फार्मा समूहों और एमएसएमई को उनकी उत्पादकता, गुणवत्ता और स्थिरता में सुधार के लिए आवश्यक सहायता के संदर्भ में बढ़ती मांग को पूरा करेगी।

“फार्मास्युटिकल उद्योग (एसपीआई) को मजबूत बनाने की योजना का उद्देश्य भारत को फार्मा क्षेत्र में विश्‍व स्‍तर पर अग्रणी बनाने के लिए मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को मजबूत बनाना है। योजना के अंतर्गत, फार्मा क्लस्टर को सामान्य सुविधाओं के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इससे न केवल गुणवत्ता में सुधार आएगा बल्कि क्लस्टरों का निरन्‍तर विकास भी सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, एसएमई और एमएसएमई की उत्पादन सुविधाओं को उन्नत करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियामक मानकों (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी या अनुसूची-एम) को पूरा करने के लिए छूट के साथ ब्‍याज दर या उनके पूंजीगत ऋणों पर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जिससे मात्रा के साथ-साथ गुणवत्ता में वृद्धि को आगे बढ़ाया जा सकेगा।

इस योजना में 3 घटक/ उप-योजनाएं हैं: सामान्य सुविधाओं के लिए औषध उद्योग को सहायता (एपीआईसीएफ), सामान्य सुविधाएं तैयार करके उनके निरंतर विकास के लिए मौजूदा फार्मास्युटिकल क्लस्टरों की क्षमता को मजबूत बनाना; राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय नियामक मानकों को पूरा करने के लिए प्रमाणित पिछली उपलब्धियों वाले सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम फार्मा उद्यमों (एमएसएमई) को आगे बढ़ाने के लिए फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन असिस्टेंस स्कीम (पीटीयूएएस) और अध्ययन / सर्वेक्षण रिपोर्ट, जागरूकता कार्यक्रमों, डेटाबेस तैयार करने तथा उद्योग को बढ़ावा देकर औषध और चिकित्‍सा उपकरण को सुविधाजनक बनाना तथा विकास योजना (पीएमपीडीएस) को बढ़ावा।

गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर अपनी सुविधाओं को उन्नत करने के लिए फार्मा समूहों और एसएमई फार्मा तथा मेडटेक उद्योग की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एपीआईसीएफ / पीटीयूएएस और पीपीडीएस की अब तक की उप-योजनाओं के दिशानिर्देशों को संशोधित करने के लिए व्यापक हितधारक परामर्श आयोजित किए गए थे।

एपीआई-सीएफ उप-योजना के तहत, पांच वर्ष में 178 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्राथमिकता के क्रम में अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों, लॉजिस्टिक केन्‍द्रों और प्रशिक्षण केन्‍द्रों पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए सामान्य सुविधाओं के निर्माण समूहों के लिए सहायता का प्रस्‍ताव है।

पीटीयूएएस उप-योजना के तहत, एसएमई उद्योगों के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 5 प्रतिशत छूट पर ब्याज दर (एससी /एसटी के स्वामित्व और प्रबंधन वाली इकाइयों के मामले में 6 प्रतिशत) या 10 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी के माध्यम से सहायता का प्रस्ताव है। दोनों मामलों में, इसके तहत 10 करोड़ की सीमा तक ऋण है और ऋण के पात्र घटकों को योजना दिशानिर्देशों में सूचीबद्ध किया गया है। पांच साल की योजना अवधि के लिए उप योजना के लिए 300 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है।

पीएमपीडीएस उप-योजना के तहत, फार्मास्युटिकल और मेडटेक उद्योग के बारे में जानकारी और जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा। यह कार्य अध्ययन करने, डेटाबेस बनाने और उद्योग जगत के नेताओं, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं को एक साथ लाकर किया जाएगा ताकि वे फार्मा और चिकित्‍सा उपकरण क्षेत्र के समग्र विकास के लिए अपने ज्ञान और अनुभव को साझा कर सकें। पांच साल की योजना अवधि के लिए उप योजना के लिए 21.5 करोड़ का परिव्यय निर्धारित किया गया है।

उम्मीद की जाती है कि इस योजना के तहत समर्थित इकाइयाँ गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी उन्नयन के मोर्चों पर विकसित होने के लिए फार्मा समूहों और एमएसई फार्मा उद्योगों के लिए प्रमाण फर्म के रूप में कार्य करेंगी।

संपूर्ण दिशानिर्देशों तक https://pharmaceuticals.gov.in/ के माध्‍यम से पहुँचा जा सकता है।