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उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने महिलाओं में क्षय रोग पर राष्ट्रीय संसदीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

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डॉ. मनसुख मांडविया ने महिलाओं में क्षय रोग पर संसदीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, सरकार 2025 तक टीबी को समाप्त करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करने के लिए अथक प्रयास कर रही है

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की पहल की सराहना करते हुए कहा, ‘पूरा मंत्रिमंडल समग्र दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है’

‘संकल्प से ही सिद्धि: जमीनी स्तर पर तालमेल और एकजुट प्रयास से टीबी को समाप्त करने की दिशा में तेजी आएगी’

भारत में टीबी की चुनौती का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वैसे तो ज्यादा पुरुष टीबी की चपेट में आते हैं, लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि टीबी के लक्षणों के लिए अपने पुरुष समकक्ष की तुलना में महिलाओं की देखभाल की संभावना कम होती है, उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने महिलाओं में क्षय रोग पर राष्ट्रीय संसदीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्री मुंजपारा महेंद्रभाई मौजूद रहे।

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सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया कि बिना लक्षण के मौजूद टीबी संक्रमण के सक्रिय टीबी में तब्दील होने के लिए उचित पोषण की कमी के साथ ही इसका खतरनाक स्वरूप जोखिम भरा कारक है। ऐसे में, क्षय रोग के कलंक से लड़ने के लिए यह सुनिश्चित करने की बात कही गई कि महिलाओं को पर्याप्त पोषण संबंधी मदद मिले और वे टीबी से उबरने के लिए पूरी देखभाल करें। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने में पूरे समाज की भागीदारी हो।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि टीबी को समाप्त करना एक राष्ट्रीय कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि 2025 तक टीबी को समाप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो सभी लिंग और पृष्ठभूमि के लोगों को ‘जन आंदोलन’ में एक साथ लाए। उन्होंने सभी से बेहतर पोषण, स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के साथ ही बीमारी से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।

इस अवसर पर डॉ. मांडविया ने कहा, ‘टीबी भारत के लिए प्रमुख जन स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल, देश में 24.8 लाख से अधिक टीबी के नए मामले सामने आते हैं और 4 लाख से ज्यादा लोग सालाना इस बीमारी से मर जाते हैं। देश में हर साल 10 लाख से ज्यादा महिलाएं व लड़कियां और 3 लाख से ज्यादा बच्चे टीबी की चपेट में आते हैं। गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद भ्रूण और शिशुओं पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ ही महिलाओं में इस बीमारी के जोखिम से समस्या और बढ़ जाती है।

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इस रोग को समाप्त करने के लिए दृढ़ राजनीतिक प्रतिबद्धता पर, उन्होंने कहा, ‘वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों के तहत दुनिया साल 2030 का लक्ष्य लेकर चल रही है जबकि भारत पांच साल पहले 2025 तक ही टीबी को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।’ टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए त्वरित और निरंतर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर जागरूकता और समुदाय के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ शुरू किया। उन्होंने कहा कि 65 प्रतिशत मामले 25 से 55 साल आयु वर्ग के हैं, जब लोग सबसे ज्यादा उत्पादक और संभवत: परिवार की आय का एकमात्र स्रोत भी होते हैं, ऐसे में बीमारी का उन्मूलन सर्वोच्च प्राथमिकता में है। सम्मेलन के आयोजन में डब्लूसीडी मंत्रालय की पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘पूरा मंत्रिमंडल 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए समग्र दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है।’

इस संबंध में, उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग की सराहना की और कहा कि ‘संकल्प’ ही ‘सिद्धि’ का मार्ग एवं आधार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जमीनी स्तर पर तालमेल और एकजुट प्रयास से 2025 तक देश में टीबी को समाप्त करने की दिशा में तेजी आएगी।

श्रीमती ईरानी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि टीबी के इस सामाजिक कलंक के चलते पिछले साल 6.9 लाख महिलाएं न केवल टीबी बल्कि अपने स्वाभिमान के लिए भी लड़ रही थीं। उन्होंने कहा, ‘2025 तक टीबी को समाप्त करने के प्रधानमंत्री के सपने को केवल सरकार के प्रयासों से हासिल नहीं किया जा सकता है। इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए सामाजिक प्रयास की जरूरत है।’ उन्होंने सभी स्वास्थ्य कर्मियों, टीबी चैंपियनों, सहभागी मंत्रालयों और एजेंसियों को निम्नलिखित शब्दों में अपना धन्यवाद देते हुए भाषण समाप्त किया: ‘आप सभी ने अपने प्रयासों के केंद्र में महिलाओं को रखा है और इसके लिए आप सभी का अत्यंत आभार। टीबी हारेगा देश जीतेगा।’

इस अवसर पर सचिव, महिला एवं बाल विकास श्री इंदेवर पांडे और सचिव (स्वास्थ्य) श्री राजेश भूषण भी उपस्थित थे।