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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय सचिव श्री अजय साहनी ने कहा-भारत ने स्टार्टअप्स की दुनिया में पिछले 50 सप्ताह में लगभग 40 यूनीकॉर्न जोड़े हैं

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‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पहले 25 वर्षों की रिवाइंडिंग’ पुस्तक का अनावरण

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय सचिव श्री अजय प्रकाश साहनी ने कल एक कार्यक्रम में कहा, “भारत ने पिछले 50 हफ्तों में स्टार्टअप की दुनिया में लगभग 40 यूनिकॉर्न जोड़े हैं।” ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पहले 25 वर्षों के रिवाइंडिंग’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा कि आज अगर हम भारतीयों को दुनिया के सबसे शीर्ष आईटी और सॉफ्टवेयर कॉरपोरेट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में देखते हैं, तो इन की श्री ओबेरॉय जैसे लोगों द्वारा अंतिम 30 वर्षों में नींव रखी गई थी। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 50 सप्ताह में स्टार्टअप्स की दुनिया में करीब 40 यूनिकॉर्न जोड़े हैं और यह भी उन्हीं 30 वर्षों का परिणाम है।

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श्री साहनी ने कहा, “आज हम सॉफ्टवेयर में भारत की विशाल उपस्थिति को हल्के में ले रहे हैं। 1987 में सॉफ्टवेयर निर्यात में भारत का सीएजीआर 51 करोड़ रुपये था और आज यह 5 लाख करोड़ रुपये है। यह 30 से अधिक वर्षों के लिए सालाना 35 प्रतिशत से अधिक के सीएजीआर का प्रतिनिधित्व करता है। हमने एमईआईटीवाई के 25 वर्ष देखे हैं और मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अगले 10-25 वर्ष पर नजर रखें और देखें कि यह हमें कहां ले कर जाएगा।

 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के पूर्व सलाहकार, श्री एस.एस. ओबेरॉय द्वारा लिखित पुस्तक- ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पहले 25 वर्षों की रिवाइंडिंग’, एमईआईटीवाई के पहले 25 वर्षों का वर्णन करती है।

साईं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री के.वी. रमानी; ऑनवर्ड टेक्नोलॉजीज के संस्थापक श्री हरीश मेहता; मास्टेक के संस्थापक श्री अशांक देसाई; इंडियन एंजेल नेटवर्क के अध्यक्ष श्री सौरभ श्रीवास्तव; एसटीपीआई के महानिदेशक डॉ. ओंकार राय, और पूर्व समूह समन्वयक और निदेशक, एमईआईटीवाई डॉ. बी.एम. बावेजा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अनावरण कार्यक्रम में शामिल हुए। पुस्तक को प्रकाशित करने में मदद करने वाले साइबरमीडिया समूह के अध्यक्ष, श्री प्रदीप गुप्ता,  भी पुस्तक विमोचन के अवसर पर उपस्थित थे।

 

श्री एस.एस. ओबेरॉय ने कहा कि ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पहले 25 वर्षों की रिवाइंडिंग’ केवल एक पुस्तक ही नहीं है, बल्कि डीओई में चीजें कैसे होती थीं, उसका एक वर्णन है। श्री ओबेरॉय ने कहा, “मैंने अपनी पुस्तक में ईमानदार होने की कोशिश की है और किसी की आलोचना नहीं की है।”

श्री एस.एस. ओबेरॉय भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग (डीओई) में एक सेवानिवृत्त सलाहकार हैं। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया।

 

कंप्यूटर के साथ उनके करियर की शुरूआत 1968 रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठान, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), बैंगलोर से में हुई, उन्हें आईसीएल 1901 कंप्यूटर निर्माण कार्यक्रम के संबंध में इंटरनेशनल कंप्यूटर लिमिटेड (आईसीएल), यूके में प्रतिनियुक्त पर नियुक्त किया गया। उनका यह सफर 1975 में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में शामिल होने के बाद भी जारी रहा। उन्होंने 1978 से 1997 तक एक छोटे से विराम के साथ अपनी सेवानिवृत्ति तक लगातार सरकार के कंप्यूटर कार्यक्रमों का नेतृत्व किया।

वह सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट एजेंसी के पहले प्रमुख और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के पहले सलाहकार थे। उन्होंने 1987 में छह प्रमुख शहरों में संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय दूतावास के साथ संयुक्त रूप से पहला प्रमुख सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन अभियान, ‘सॉफ्टवेयर इंडिया’ चलाया। इसके अलावा, उन्होंने बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन, डेनमार्क, हॉलैंड और रूस में इसी तरह के ‘सॉफ्टवेयर इंडिया’ सम्मेलन, आयोजित किए।

 

उन्होंने सैटेलाइट लिंक के माध्यम से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा दिया और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजिकल पार्क, बैंगलोर के पहले सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के पूर्व परीक्षण का निरीक्षण किया। उन्होंने डॉट, कस्टम और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को सुलझाने में मदद की। उन्होंने बैंगलोर, पुणे और भुबनेश्वर में भारत में पहले तीन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजिकल पार्कों की स्थापना की और वे इन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजिकल पार्कों के अध्यक्ष भी थे।

उन्होंने सरकार के सुपर कंप्यूटर कार्यक्रम का समन्वयन किया और सी-डैक की शासन परिषद में शामिल थे। 1980 के दशक की शुरुआत में जब पहली बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर सॉफ्टवेयर के संरक्षण पर विचार-विमर्श किया गया था, तो उन्होंने विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

वह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के कानूनी संरक्षण से संबंधित तकनीकी प्रश्नों पर कार्य समूह के सदस्य भी थे और उन्होंने जिनेवा और कैनबरा में बैठकों में भाग लिया। वह विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के बोर्ड में शामिल थे जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित थे और एसटीपीआई, सी-डैक और डीओईएसीसी की शासी परिषदों के सदस्य थे। वह यूएनडीपी परियोजना ईआरनेट, सीएडी, सीएएम और पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों के राष्ट्रीय परियोजना निदेशक भी थे।